
कोलकाता की एक कपड़ों की फ़ैक्ट्री में 14 साल के बच्चे की बेरहमी से पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। घटना कोई अफ़वाह नहीं थी—वीडियो में जो दिखा, वही असलियत थी। अब इस केस में बड़ा अपडेट आया है: फैक्ट्री का मालिक शहंशाह अली मुंबई से गिरफ़्तार हो गया है।
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मोबाइल चोरी का झूठा आरोप और फिर हैवानियत
बच्चे पर मोबाइल चोरी का आरोप लगाया गया और उसके बाद उसे जानवरों की तरह पीटा गया। ये कोई पुरानी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि 2025 के भारत का नग्न यथार्थ है। फैक्ट्री मालिक खुद बच्चा लाने गया था, काम का लालच दिया गया और फिर “सज़ा” दी गई मोबाइल के लिए।
अभियुक्त की लोकेशन ट्रेस कर मुंबई में गिरफ़्तारी
महेशतला के एसडीपीओ क़मरुज्ज़मा मोल्ला ने बताया कि पुलिस ने शहंशाह अली के मोबाइल को ट्रैक किया और जैसे ही वो मुंबई पहुँचे, उन्हें वहीं से गिरफ्तार कर लिया गया। वो ट्रेन से भाग रहे थे। इस मामले में पहले ही दो अन्य आरोपी—तौहीद आलम और मुस्तफ़ा कमाल—गिरफ़्तार हो चुके हैं, जो वीडियो में भी नज़र आ रहे हैं।
लापता है बच्चा, परिवार की हालत बेहाल
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस बच्चे को पीटा गया, वह अभी तक लापता है। बच्चे के पिता दिल मोहम्मद ने बताया कि शहंशाह अली खुद उसे इस्लामपुर के छोगोरिया कस्बे से ले गया था। अब बच्चा कहीं नहीं है और उसका कोई मोबाइल नंबर भी नहीं है जिससे उसकी लोकेशन ट्रेस की जा सके।
एनएच-33 जाम, लोगों का ग़ुस्सा फूटा
घटना से ग़ुस्साए लोगों ने इस्लामपुर में नेशनल हाइवे-33 को जाम कर दिया। “हमारा बच्चा कहां है?”—ये सवाल हवा में तैर रहा था, लेकिन जवाब किसी के पास नहीं था।
इस दौरान मीडिया से बात करते हुए परिवार ने कहा कि वे खुद भी बच्चे को खोजने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही।
रबिन्द्रनगर थाने की जांच तेज़
कोलकाता के रबिन्द्रनगर पुलिस स्टेशन ने एक और विशेष दल बनाया है जो बच्चे की तलाश में जुटा है। अब तक इस मामले में दो एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं—एक रबिन्द्रनगर और दूसरी इस्लामपुर के पातागोडा थाने में।
इससे साफ है कि मामला अब सिर्फ हिंसा का नहीं, बल्कि लापता बच्चे और बाल श्रम से जुड़ी गंभीर लापरवाही का भी है।
फैक्ट्री मालिक का क्या होगा?
अब जबकि शहंशाह अली को गिरफ्तार कर कोलकाता लाया जा रहा है, उससे पूछताछ और कड़ी कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। सवाल सिर्फ उसका दोष साबित करने का नहीं, बल्कि उस सिस्टम को भी कटघरे में खड़ा करने का है जो बच्चों को बाल मज़दूरी में झोंकता है और फिर उन्हें पीट-पीटकर लापता कर देता है।
“वो सिर्फ बच्चा नहीं, सवाल है सिस्टम पर”
इस घटना ने सिर्फ एक बच्चा नहीं, पूरे समाज की आंखें खोल दी हैं। जब 14 साल का बच्चा पीटा जाता है, लापता होता है, और कोई सिस्टम उसे ढूंढ नहीं पाता, तो सवाल उठता है कि क्या हमारी तरक्की सिर्फ GDP तक सीमित है?
कपड़े रंगने वाली फैक्ट्री में उस बच्चे का बचपन बेरंग कर दिया गया, और उसका भविष्य—वो अब भी धुंध में है।